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NDRC गागा डॉल्फ़िन(Ganga dolphin) के अध्ययन के लिए समर्पित एशिया में अपनी तरह का पहला संस्थान होगा।  यह वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के लिए एक चर्चा और अनुसंधान केंद्र के रूप में कार्य करेगा।

इससे नदी डॉल्फ़िन के संरक्षण के प्रयासों को बढ़ावा मिलेगा।

गंगा डॉल्फिन(NDRC) के बारे में:

यह भारत का राष्ट्रीय जलीय जीव है।

यह दुनिया की सबसे बड़ी मीठे पानी की डॉल्फ़िन प्रजातियों में से एक है।

वितरण: यह गंगा-ब्रह्मपुल-मेघना नदी प्रणाली और नेपाल, भारत और बांग्लादेश की कर्णफुली सांगु नदी में पाया जाता है।

NDRC

संरक्षण की स्थिति:

IUCN स्थिति: एंडेंजर्ड

वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972: अनुसूची-I में सूचीबद्ध।

वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन

(CITIES): परिशिष्ट-1 में सूचीबद्ध।  

गंगा डॉल्फिन की मुख्य विशेषताएं:

 इसे स्थानीय तौर पर सूंस के नाम से जाना जाता है। यह सांस लेते समय ऐसे उच्चारण वाली ध्वनि  उत्पन करती हैं।

इसी वजह से इसे यह नाम दिया गया है।

यह डॉल्फिन अंधी है।  वे इकोलोकेशन की मदद से शिकार करते हैं।

अल्ट्रासोनिक ध्वनि तरंगें उत्पन्न करते हैं।  जब ये ध्वनि तरंगें पास की मछली या अन्य शिकार से टकराती हैं,

तो ये ध्वनि तरंगें गूँज के रूप में डॉल्फ़िन के पास लौट आती हैं और उसके मस्तिष्क में उस जीव की एक छवि बनती हैं। 

इस प्रकार डॉल्फ़िन उन मछलियों आदि का शिकार करती है। 

डॉल्फ़िन अक्सर अकेले या छोटे समूहों में पाई जाती हैं।  आमतौर पर माँ डॉल्फ़िन अपनी संतानों के साथ रहती है।

मादा डॉल्फ़िन नर डॉल्फ़िन से बड़ी होती हैं।  वे हर दो से तीन साल में एक बार ही एक बच्चे को जन्म देते हैं।

गंगा डॉल्फिन के संरक्षण के लिए शुरू की गई पहले:

प्रोजेक्ट डॉल्फिन (2021) शुरू किया गया है।

उनके कुछ आवासों को संरक्षित क्षेत्रों के रूप में अधिसूचित किया गया है, जैसे विक्रमशिला डॉल्फिन अभयारण्य (बिहार) आदि।

5 अक्टूबर को राष्ट्रीय डॉल्फिन दिवस घोषित किया गया है।

नदी डॉल्फ़िन और जलीय आवासों के संरक्षण के लिए एक व्यापक कार्य योजना(2022-2047) तैयार कि गई है। डॉल्फिन नदी के लिए वैश्विक घोषणा पत्र जारी किया गया है।

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