शोधकर्ताओं ने युकोन नदी(उत्तरी अमेरिका) में पर्माफ्रॉस्ट(Permafrost & Mercury) के ऊपरी तीन मीटर से लिए गए नमूनों का विश्लेषण किया।
शोधकर्ताओं ने सैटेलाइट डेटा से नमूनों की तुलना की और पाया कि नदी के किनारों के कटाव के कारण “काफी अधिक” मात्रा में पारा निकल रहा है।
पर्माफ्रॉस्ट(Permafrost & Mercury) के बारे में:
यह वह भू-भाग है, जो कम-से-कम दो वर्षों तक जमा (0 डिग्री सेल्सियस) या अधिक ठंडा बना रहता है।
यह मृदा, चट्टान के टुकड़ों और रेत से मिलकर बनता है। ये सभी तत्व बर्फ के जरिये एक- दूसरे से जुड़ जाते हैं।
पर्माफ्रॉस्ट भूमि ऊंचे पर्वतीय क्षेत्रों तथा पृथ्वी के उच्च अक्षांशों (आर्कटिक और अंटार्कटिका) में काफी अधिक पाई जाती है।
जमीन के जमे होने के बावजूद भी पर्माफ्रॉस्ट क्षेत्र हमेशा बर्फ से ढके नहीं रहते हैं।
पर्माफ्रॉस्ट(Permafrost & Mercury) के पिघलने के प्रभावः
पर्माफ्रॉस्ट के पिघलने से पर्माफ्रॉस्ट में संग्रहित मृदा के ऑर्गेनिक कार्बन का अपघटन होता है।
इससे वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन जैसी ग्रीनहाउस गैसें उत्सर्जित होती हैं।
पर्माफ्रॉस्ट(Permafrost) के पिघलने से उसमें दबे प्राचीन बैक्टीरिया और वायरस मुक्त होते हैं,
जो मनुष्यों एवं पशुओं के स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा करते हैं।
पारे(Mercury) के संभावित उत्सर्जन के कारण आर्कटिक क्षेत्र में रहने वाले 5 मिलियन से अधिक लोगों के लिए सीधा खतरा उत्पन्न हो सकता है।
इसके कारण समुद्र जलस्तर में वृद्धि, भू-क्षरण और भूस्खलन का खतरा भी बढ़ेगा।
पारे के बारे में:
यह एक प्राकृतिक धातु है। यह हवा, पानी और मिट्टी में पाई जाती है।
पारा एकमात्र ऐसी धातु है, जो कमरे के तापमान पर तरल अवस्था में रहती है।
यहां तक कि पारे की थोड़ी-सी मात्रा के भी संपर्क में आने पर गंभीर स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
प्राकृतिक स्रोतः
ज्वालामुखी, भू-तापीय झरने, भूगर्भिक जमाव, महासागर आदि।
मानव-जनित स्रोतः
कोयले या खतरनाक अपशिष्ट का दहन, सोने का खनन, औद्योगिक उपयोग आदि।
स्वास्थ्य के लिए खतराः
यह तंत्रिका तंत्र, पाचन व प्रतिरक्षा प्रणाली आदि को प्रभावित करता है।
मिनामाता रोग एक तंत्रिका संबंधी रोग है। यह पारे की विषाक्तता के कारण ही होता है।
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