इस अध्ययन में पारिस्थितिकी मूल्य को प्राथमिक मानदंड मानते हुए घासभूमि(Banni Grasslands) की पुनर्बहाली के लिए उपग्रह आधारित डेटा का उपयोग करके मृदा की कई विशेषताओं (पोषक तत्व और सूक्ष्म पोषक तत्व) का विश्लेषण किया गया है।
अध्ययन के(Banni Grasslands) मुख्य बिंदुओं पर एक नजर:
अध्ययन में बन्नी घासभूमि के पुनर्बहाली वाले क्षेत्रों को निम्नलिखित पांच श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है-
मौजूदा घासभूमि क्षेत्र का 36% भाग “अत्यधिक उपयुक्त” श्रेणी में है;
28% “उपयुक्त” श्रेणी में है;
27% “मध्यम रूप से उपयुक्त” श्रेणी में है;
7% “मामूली रूप से उपयुक्त” श्रेणी में है; तथा
2% पुनर्बहाली के लिए “अनुपयुक्त” श्रेणी में है।
पहली दो श्रेणियों यानी ‘अत्यधिक उपयुक्त’ और ‘उपयुक्त’ वाले क्षेत्रों को पर्याप्त जल स्रोतों (सिंचाई या वर्षा जल संचयन) की सहायता से आसानी से पुनर्बहाल किया जा सकता है।
“मामूली रूप से उपयुक्त” और “अनुपयुक्त” श्रेणी के क्षेत्रों में जल अपरदन एवं लवणता की समस्या का समाधान करके सीढ़ीदार खेती पद्धति व उर्वरकों के माध्यम से प्रबंधित किया जा सकता है।
बन्नी घासभूमि(Banni Grasslands/कच्छ, गुजरात) के बारे में:
यह एशिया का सबसे बड़ा उष्णकटिबंधीय घास का मैदान है। यह 2,600 वर्ग कि.मी. क्षेत्र में फैला हुआ है।
यह विवर्तनिक गतिविधियों के कारण समुद्र तल से ऊंचा उठा हुआ है।
वनस्पति और जीव-जंतुः
बन्नी भैंस, कांकरेज मवेशी, एशियाई जंगली गधा, ऊंट, घोड़ा आदि।
सांस्कृतिक महत्त्वः
यहां 20 से अधिक नृजातीय व अर्ध-घुमंतू समुदाय मालधारी (सिल्विपस्टोरलिस्ट), जाट आदि रहते हैं।
यह स्थल कई तरह की पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं (जैसे कार्बन भंडारण, जलवायु परिवर्तन प्रभाव शमन, परागण आदि) प्रदान करता है।
यहां रात के समय अजीब प्रकार की डांसिंग लाइट्स की घटनाएं (चिर बत्ती या भूतिया रोशनी) घटित होती हैं।
बन्नी घासभूमि के समक्ष खतरा:
पशुओं की चराई का अत्यधिक दबाव;
मृदा में अत्यधिक लवणता के कारण प्रोसोपिस जूलीफ्लोरा का प्रकोप बढ़ा है;
जल की कमी (शुष्कता), जलवायु परिवर्तन, मरुस्थलीकरण इत्यादि ।
भारत में घास के मैदानों की पुनर्बहाली के लिए उठाए गए कदम:
भूमि क्षरण न्यूट्रैलिटी प्रतिबद्धताः
इस पहल के तहत 2030 तक 26 मिलियन हेक्टेयर निम्नीकृत भूमि को पुनर्बहाल करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
भारत में चीते को फिर से बसानाः
इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य खुले वन और सवाना प्रकार के घास के मैदान को पुनर्बहाल करना है।
संरक्षित क्षेत्रों की घोषणाः
उदाहरण के लिए राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव अभ्यारण्य आदि।
बन्नी घासभूमि पुनर्बहाल परियोजना (2019) शुरू की गई है।
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