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एक रिपोर्ट के अनुसार जहरीली शराब पीने से हुई मौत की वजह शराब में मेथेनॉल (Hooch/Methyl Alcohol) की मिलावट थी।

“हूच” वास्तव में घटिया गुणवत्ता वाली शराब के लिए आम तौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है।

कभी-कभी, इसमें एथेनॉल के साथ-साथ मेथेनॉल भी मिला दिया जाता है।

मेथेनॉल औद्योगिक गतिविधियों में उपयोग किए जाना वाला अल्कोहल है।

मेथेनॉल (Hooch/Methyl Alcohol) के बारे में:

इसे वुड अल्कोहल या स्पिरिट भी कहा जाता है। इसे पारंपरिक रूप से लकड़ी के भंजक आसवन (Destructive distillation) द्वारा उत्पादित किया जाता है।

मेथेनॉल(CH3OH) तैयार करने की आधुनिक विधि बायोमास या अन्य स्रोतों से प्राप्त सिंथेसिस गैस या सिनगैस पर आधारित है।

सिंथेसिस गैस हाइड्रोजन और कार्बन मोनोऑक्साइड का मिश्रण है।

Hooch/Methyl Alcohol

(Hooch/Methyl Alcohol)विशेषताः

यह एक रंगहीन और काफी वाष्पशील तरल है। इसमें हल्की मीठी तीखी गंध होती है।

यह जल में पूरी तरह से घुलनशील है और यह एक एंटीफ्रीज एजेंट है यानी यह पानी को जमने से रोकता है।

मुख्य उपयोगः

पेंट, वार्निश और मुख्य रूप से फॉर्मल्डेहाइड बनाने के लिए विलायक के रूप में उपयोग किया जाता है।

इसे बायोडिग्रेडेबल ऊर्जा संसाधन के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

प्रभावः मेथेनॉल की थोड़ी मात्रा का सेवन भी अंधेपन का कारण बन सकता है।

इसके अधिक मात्रा में सेवन से मृत्यु भी हो सकती है।

विनियामक फ्रेमवर्क:

खाद्य सुरक्षा और मानक (मादक पेय पदार्थ) विनियम, 2018 के तहत शराब में मेथेनॉल की अधिकतम स्वीकार्य मात्रा निर्धारित की गई है।

यह खतरनाक रसायन का निर्माण, भंडारण और आयात नियम, 1989 की अनुसूची-1 में सूचीबद्ध है।

कुछ राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों ने शराब (मिथाइल अल्कोहल सहित) की बिक्री और उपभोग पर प्रतिबंध लगा दिया है। जैसे बिहार, गुजरात आदि।

आगे की राह:

जहरीली शराब पीने से होने वाली मौतों को रोकने के लिए केंद्र सरकार द्वारा कठोर कानून बनाने की आवश्यकता है।

विष अधिनियम, 1919 जैसे कानूनों के तहत एक राज्य से दूसरे राज्य में मेथेनॉल की आपूर्ति की कड़ी निगरानी की जानी चाहिए।

इथेनॉल (C2H5OH) के बारे में:

इसे किण्वन द्वारा व्यावसायिक रूप से प्राप्त किया जाता है। सबसे पुरानी विधि के तहत इसे शर्करा से प्राप्त किया जाता है।

यह रंगहीन तरल है। इसका उपयोग पेंट निर्माण उद्योग में विलायक के रूप में और कई कार्बन यौगिकों के निर्माण में किया जाता है।

इसके अलावा, इसे अक्षय ऊर्जा ईंधन स्रोत के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है।

शरीर पर प्रभावः इथेनॉल का सेवन केंद्रीय तंत्रिका तंत्र पर असर डालता है।

सामान्य मात्रा में इसका सेवन हमारे विवेक और हमारे बोलने यानी अभिव्यक्ति को प्रभावित करता है।

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