सोलिगा जनजाति (Soligas Tribe) एक अलग-थलग रहने वाला जनजातीय समुदाय है।
यह जनजाति केवल कर्नाटक और तमिलनाडु, विशेष रूप से विलिगिरी रंगना पहाड़ियों और माले महादेश्वर पहाड़ियों में निवास करती है।
यह समुदाय सोलिगा/ शोलिगा/ सोलिगारू के नाम से भी लोकप्रिय है।
इन्हें ‘बांस की संतान’ भी कहा जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है किं इस शब्द का अर्थ है कि इनकी उत्पत्ति बांस से हुई है।
इनकी बस्तियों को ‘हाड़ी’ और ‘पूडू’ के नाम से जाना जाता है।
ये लोग “सोलिगा” बोलते हैं जो कि एक द्रविड़ भाषा है।
अनुष्ठान और त्यौहारः वे सूखे के दौरान वर्षा के देवता का आह्वान करने के लिए अनुष्ठान करते हैं एवं भोग के रूप में ताजा शहद चढ़ाते हैं।
उनके पारंपरिक त्यौहार रोट्टी हब्बा , होसा रागी हब्बा, मारी हब्बा एवं गौरी हब्बा आदि हैं।
वे प्रकृति के प्रति अटूट श्रद्धा के साथ हिंदू धर्म का पालन करते हैं।
(Soligas Tribe)व्यवसाय और जीवनशैलीः
वे जंगल के मौसमी चक्र के अनुरूप खेती और शिकार करते हैं।
सोलिगा का मुख्य व्यवसाय लघु वन उत्पादों जैसे गोंद, शहद, साबुन नट, जड़ और कंद, इमली आदि को इकट्ठा करना है।
सोलिगा विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए 300 से अधिक जड़ी-बूटियों का उपयोग करते हैं।
अन्य जानकारीः
जैव विविधता एवं संरक्षण प्रयासों में सोलिगा समुदाय की महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता देने के लिए,
ततैया की एक नई प्रजाति, ‘सोलिगा एकरिनाटा’ का नाम सोलिगा समुदाय के नाम पर रखा गया है।
सोलिगा वस्तुतः टाइगर रिजर्व के अंदर रहने वाला पहला ऐसा आदिवासी समुदाय हैं जिसे 2011 में वन पर कानूनी अधिकार प्रदान किया गया।