कर्नाटक हाई कोर्ट ने असाधारण परिस्थितियों में कैदी को पैरोल(Parole) पर रिहा करने का आदेश दिया है।
पैरोल(Parole) के बारे में:
पैरोल के तहत पारिवारिक और सामाजिक दायित्वों (जैसे- परिवार में किसी की मृत्यु) को पूरा करने हेतु दोषी व्यक्ति को कुछ समय के लिए अस्थायी रूप से जेल से रिहा किया जाता है।
पैरोल की मांग करना कैदी का अधिकार नहीं है।
इसका प्रावधान कारावास अधिनियम, 1894 और कैदी अधिनियम, 1900 के तहत किया गया है।
ज्ञातव्य है कि जेल राज्य सूची का विषय है,
इसलिए प्रत्येक राज्य सरकार के कारावास संबंधी नियमों में पैरोल संबंधी नियम भी परिभाषित होते हैं।
एक से अधिक हत्याओं का दोषी या आतंकवाद-रोधी या गैर-कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम के तहत दोषी ठहराया गया कैदी पैरोल के लिए पात्र नहीं होता है।