जब आपूर्ति और मांग जैसे बाजार आधारित कारकों के चलते अन्य मुद्रा (जैसे- डॉलर या पाउंड) की तुलना में रुपये के मूल्य में गिरावट आती है तो उसे रुपये का मूल्यह्रास(Depreciation of Rupee) कहा जाता है।
मूल्यह्रास (Depreciation of Rupee)कारणः
पूंजी का बहिर्वाह, राजनीतिक अस्थिरता, आदि।
लाभः निर्यात बढ़ता है तथा आयात में कमी आती है।
समस्याएंः इससे मुद्रास्फीति बढ़ सकती है।
साथ ही, कंपनियों के लिए विदेशी मुद्रा विनिमय के मामले में जोखिम की स्थिति बन सकती है।
नियंत्रण के उपायः भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) विदेशी मुद्रा भंडार में कमी कर सकता है;
अनिवासी भारतीय (NRI) जमा में पूंजी प्रवाह को प्रोत्साहित कर सकता है।
मुद्रा का अवमूल्यन (Devaluation):
जब कोई देश जानबूझकर अन्य देशों की मुद्रा की तुलना में अपनी मुद्रा के मूल्य में कमी करता है,
तो उसे मुद्रा का अवमूल्यन कहा जाता है।
आमतौर पर यह कार्य सरकार या केंद्रीय बैंक द्वारा किया जाता है।