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भारत ने अपना पहला परमाणु परीक्षण 18 मई, 1974 को(India Nuclear Test) पोखरण में किया था। पोखरण, पश्चिमी राजस्थान के रेगिस्तान में सेना का एक परीक्षण रेंज स्थल है।

 यह परमाणु परीक्षण 10-15 किलोटन रेंज वाले प्लूटोनियम के साथ किया गया था।

 इस परमाणु परीक्षण का कोडनेम “ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्धा” रखा गया था।

 ‘भारत से पहले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों (P-5) ने ही परमाणु परीक्षण किए थे।

इस तरह P-5 देशों के अलावा परमाणु परीक्षण करने वाला भारत पहला देश था।

P-5 देश हैंः संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, चीन, यूनाइटेड किंगडम और फ्रांस।

 1998 में, भारत ने “ऑपरेशन शक्ति” कोडनेम के तहत पोखरण में फिर से परमाणु परीक्षण किए थे।

इन परमाणु परीक्षणों से भारत को कम क्षमता से लेकर लगभग 200 किलोटन तक के परमाणु हथियार बनाने की क्षमता हासिल हुई।

भारत को पोखरण-1 परीक्षण(India Nuclear Test) की आवश्यकता क्यों पड़ी:

 अपने संभावित शलुओं से खतरों के खिलाफ निवारक क्षमता (Deterrence capability) हासिल करनी थी।

साथ ही, राष्ट्रीय सुरक्षा हितों की रक्षा करने के लिए भी यह जरूरी था।

डेटरेंस का अर्थ है, सामरिक हमलों को रोकने के लिए अंतिम सहारे के रूप में एक सुरक्षित, संरक्षित और प्रभावी परमाणु शस्त्रागार रखना।

भारत पर परमाणु अप्रसार संधि (NPT) पर हस्ताक्षर करने के लिए दबाव बनाया जा रहा था।

भारत का मानना है कि यह संधि भेदभावपूर्ण है, क्योंकि यह P-5 देशों को परमाणु हथियार रखने की छूट देती है,

जबकि अन्य देशों पर ऐसे हथियार रखने पर प्रतिबंध लगाती है।

पोखरण-1 परमाणु परीक्षण(India Nuclear Test) की वैश्विक प्रतिक्रिया:

India Nuclear Test

 इस परीक्षण के पश्चात 1975 में “परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG)” की स्थापना की गई थी।

NSG विश्व के 48 “परमाणु आपूर्तिकर्ता देशों” का समूह है।

इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए परमाणु व्यापार, परमाणु हथियारों के प्रसार में योगदान न दे।

यह समूह असैन्य उद्देश्यों वाली परमाणु सामग्री और परमाणु-संबंधित उपकरण एवं प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण को नियंत्रित करता है।

भारत का परमाणु सिद्धांत (Nuclear doctrine):

 भारत एक “विश्वसनीय न्यूनतम निवारक (Credible minimum deterrent)” का निर्माण करेगा और इसे बनाए रखेगा। भारत परमाणु हथियार का “सबसे पहले इस्तेमाल नहीं” करेगा।

परमाणु हथियारों का इस्तेमाल केवल परमाणु हमले के खिलाफ जवाबी कार्रवाई में किया जाएगा।

 भारत उन देशों के खिलाफ परमाणु हथियारों का उपयोग नहीं करेगा, जिन देशों के पास परमाणु हथियार नहीं है।

 जवाबी परमाणु हमलों का आदेश केवल असैन्य राजनीतिक नेतृत्व द्वारा ही दिया जा सकता है।

 भारत “परमाणु हथियार मुक्त विश्व” के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रतिबद्ध रहेगा।

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