वर्तमान में, पंजाब और पश्चिम बंगाल राज्यों में(NCBC) सार्वजनिक क्षेत्रक के रोजगार में अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों तथा,
अन्य पिछड़े वर्गों (OBCs) के लिए उपलब्ध कुल आरक्षण क्रमशः 37% और 45% है।
ये राज्य 50% तक आरक्षण देने की व्यवस्था का पूरा लाभ नहीं उठा पा रहे हैं।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने ‘इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ’ मामले में कुल आरक्षण को 50% तक सीमित रखने का निर्णय दिया था।
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की उपर्युक्त सिफारिश इस सीमा के दायरे में ही रहेगी।
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) के बारे में:
NCBC को राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम, 1993 के तहत एक सांविधिक संस्था के रूप में स्थापित किया गया था।
102वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2018 के जरिए
संविधान में अनुच्छेद 338B को जोड़कर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया था।
आयोग में एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और तीन अन्य सदस्य शामिल होते हैं।
इनका पद और वेतन स्तर भारत सरकार के सचिव के पद व वेतन स्तर के बराबर होता है।
NCBC सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए प्रदान किए गए रक्षोपायों से संबंधित सभी मामलों की जांच एवं निगरानी करता है।
यह आयोग नई जातियों या समुदायों को OBC सूची में शामिल करने या,
किसी समुदाय या जाति को OBC सूची से बाहर करने हेतु केंद्र और राज्य सरकारों से प्राप्त सिफारिशों पर केंद्र सरकार को सलाह देता है।
NCBC प्रतिवर्ष और जरूरत पड़ने पर किसी अन्य समय भी राष्ट्रपति को रिपोर्ट प्रस्तुत करता है।
यदि सरकार इसकी सिफारिशों से सहमत नहीं है, तो उसे इसके कारण बताने होंगे।