ज़ेनो ट्रांसप्लांटेशन(Xenotransplantation) में किसी जानवर (नॉन-ह्यूमन) की जीवित कोशिकाओं, ऊतकों या अंगों को एक मानव में ट्रांसप्लांट, इम्प्लांट या इंफ्यूजन किया जाता है।
प्रायः अंग प्रत्यारोपणों कराने वाले रोगियों की संख्या अधिक और डोनर अंगों की उपलब्धता कम होती है।
इसी के चलते ऐसी प्रक्रिया की आवश्यकता महसूस की गई।
ज़ेनोट्रांसप्लांटेशन(Xenotransplantation) के लिए अक्सर सूअरों के अंगों का उपयोग क्यों किया जाता है:
सुअर के अंगों का आकार, शारीरिक चयापचय और प्रतिरक्षा प्रणाली काफी हद तक मनुष्यों के समान है।
सुअर के जिन अंगों का उपयोग ज़ेनोट्रांसप्लांटेशन के लिए किया जा सकता है उनमें हृदय, लिवर, फेफड़े आदि शामिल हैं।
2022 में, सुअर के आनुवंशिक रूप से संशोधित हृदय का पहला जेनोट्रांसप्लांटेशन किया गया था।
पिग फार्म में सूअरों का प्रजनन (ब्रीडिंग) काफी प्रचलित है और इसमें लागत भी कम आती है।
ऐसे फार्म्स में सूअरों की अलग-अलग प्रकार की नस्लों का विकास किया जाता है।
ये फार्म्स सूअरों में इंसान की विशिष्ट जरूरत से मिलान वाले अंगों के विकास का अवसर उपलब्ध कराते हैं।
जेनोट्रांसप्लांटेशन (Xenotransplantation) की प्रक्रिया:
इस प्रक्रिया के लिए जीन एडिटिंग प्रौद्योगिकी CRISPR-Cas9 का उपयोग किया गया था। इस प्रौद्योगिकी के जरिए शर्करा के उत्पादन के लिए जिम्मेदार सूअर के विशिष्ट जीन को समाप्त किया गया। इससे प्रतिरक्षा प्रणालियों को सक्रिय करने में मदद मिली थी।
इसमें सूअर के अंगों (किडनी, हृदय) को मानव शरीर प्रणाली के अनुकूल कार्य करने के लिए निर्धारित मानव जीन को जोड़ा गया था।
ज़ेनोट्रांसप्लांटेशन के लाभ:
जानलेवा रोगों से ग्रस्त लोगों के लिए वैकल्पिक स्रोतों से अंगों की आपूर्ति संभव होती है।
प्रत्यारोपण के लिए आवश्यक अंगों की कमी को दूर किया जा सकता है।
मुख्य चिंताएं:
जानवरों के अंगों को मानव शरीर द्वारा अस्वीकार करने की दर अधिक है।
किसी जानवर के अंग से मानव में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
इस प्रक्रिया को पशु कल्याण के विरुद्ध माना जाता है।
अंगदाताओं के रूप में आनुवंशिक रूप से संशोधित सूअर:
1. जीन-एडिटिंग तकनीक के जरिए नए जीन को जोड़ने और पुराने जीन को हटाने से सुअर की आनुवंशिक रूप से संशोधित कोशिकाएं निर्मित होती हैं।
2. इनका उपयोग सूअर के भ्रूण बनाने में किया जाता है।
3. आनुवंशिक रूप से संशोधित सूअरों को नियंत्रित बायो-सील्ड परिवेश में पाला जाता है।
4. वयस्क सुअर से विकसित अंग निकाला जाता है और रोगी में प्रत्यारोपित किया जाता है।
5. रोगी को अपने शरीर को प्रत्यारोपित अंग को अस्वीकार करने से रोकने के लिए इम्यूनोसप्रेसेन्ट दवाएं लेते रहना आवश्यक होता है।