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बोस इंस्टीट्यूट, कोलकाता और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), कानपुर द्वारा किए गए एक अध्ययन में इस तथ्य को रेखांकित किया गया है। प्रदूषण की वज़ह से मैंग्रोव पारिस्थितिकी(Mangrove Ecosystem) तंत्र खतरे में हैं।

 (Mangrove Ecosystem)अध्ययन के मुख्य बिंदुओं पर एक नजरः

• सुंदरबन में वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोतः

कोलकाता और सिंधु-गंगा के मैदान से निकलने वाले ब्लैक कार्बन जैसे मुख्य प्रदूषक गंभीर रूप से जिम्मेदार हैं।

इसके अलावा, स्थानीय स्तर पर बायोमास का दहन भी प्रदुषण के लिए जिम्मेदार है।

• अभिक्रियाशील ऑक्सीजनयुक्त प्रजातियों (Reactive Oxygenated Species: ROS) में वृद्धिः

PM2.5 प्रदूषकों के अम्लीय घटक भारी धातुओं की उपस्थिति में ROS की उत्पत्ति को बढ़ावा दे रहे हैं।

इससे मैंग्रोव कोशिकाओं के लिए गंभीर खतरा पैदा हो रहा है।

• ROS ऑक्सीजन युक्त रेडिकल्स (मॉलिक्यूल्स) हैं, जो एक या अधिक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन / इलेक्ट्रॉन्स के साथ स्वतंत्र अस्तित्व में रहने में सक्षम हैं।

सुंदरबन मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र(Mangrove Ecosystem)के बारे में:

Mangrove Ecosystem

• यह विश्व का सबसे बड़ा मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र है।

इसका नाम हेरिटिएरा फोम्स प्रजाति के वृक्ष के नाम पर रखा गया है, जिसे बंगाली भाषा में सुंदरी वृक्ष के नाम से जाना जाता है।

• यह बंगाल की खाड़ी पर गंगा, ब्रह्मपुत्र और मेघना नदियों के डेल्टा पर स्थित है।

इसका विस्तार भारत और बांग्लादेश दोनों देशों में है।

यह विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा है।

• यह एक यूनेस्को बायोस्फीयर रिजर्व भी है और यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामित है। 

• इसे रामसर कन्वेंशन के तहत अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमि घोषित किया गया है।

सुंदरबन मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र का महत्त्व:

यह जैव विविधता की दृष्टि से अत्यधिक समृद्ध है। यहां बंगाल टाइगर्स, गंगा डॉल्फिन आदि जीव पाए जाते हैं।

यह कार्बन का अवशोषण कर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने में योगदान देता है।

चक्रवाती तूफानों के प्रकोप को कम करता है और ज्वारीय क्रिया के कारण होने वाले तटीय/मृदा कटाव को रोकता है।

लाखों लोग मछली पकड़ने, शहद इकट्ठा करने आदि के माध्यम से अपनी आजीविका और भरण-पोषण के लिए इस पर निर्भर हैं।

वायु प्रदूषण को कम करने के लिए की गई सिफारिशें:

सौर और पवन ऊर्जा को बढ़ावा देना चाहिए।

विद्युत परिवहन को अपनाना चाहिए और LPG पर सब्सिडी देनी चाहिए।

पर्यटन को विनियमित करना चाहिए और डीजल जनरेटर पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।

कार्बन उत्सर्जित करने वाले उद्योगों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।

• ईंट भट्टों और भूमि उपयोग को विनियमित करना चाहिए।

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