हाल ही में, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने संबद्ध स्कूलों को एक सर्कुलर जारी किया था। इसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020 और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (NCF), 2022 के अनुरूप बच्चों को उनकी मातृभाषा(Mother Language) में पढ़ाने पर फोकस करने का निर्देश दिया गया है।
• NEP 2020 कम-से-कम कक्षा 5 तक मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करने की वकालत करती है। प्राथमिक रूप से इसे कक्षा 8 और उससे आगे तक भी बढ़ाया जा सकता है।
NCF 2022 ने सिफारिश की है कि आठ वर्ष की आयु तक के बच्चों के लिए शिक्षा का प्राथमिक माध्यम मातृभाषा होनी चाहिए।
मातृभाषा(Mother Language) में शिक्षा हेतु अन्य प्रावधान:
• संविधान का अनुच्छेद 350A: यह राज्य को भाषाई अल्पसंख्यक समूहों के बच्चों को उनकी मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा प्रदान करने का निर्देश देता है।
• शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 की धारा 29: जहां तक संभव हो शिक्षा का माध्यम मातृभाषा ही होनी चाहिए।
मातृभाषा(Mother Language) में शिक्षा का महत्त्व:
विद्यार्थियों में संज्ञानात्मक कौशल को बढ़ाती है और उनकी सीखने की क्षमता एवं शैक्षणिक प्रदर्शन में सुधार करती है।
जटिल विषयों को समझना सुगम बनाती है।
सीखने वाले बच्चे को स्वयं को आत्मविश्वास से अभिव्यक्त करने एवं अपनी विरासत से जुड़ने में सक्षम बनाती है।
शिक्षकों और छात्रों के बीच बेहतर संचार और समझ को सुगम बनाती है।
मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करने से जुड़ी चुनौतियां:
• मातृभाषा में शिक्षण सामग्री तैयार करने के लिए कम संसाधन आवंटित किए जाते हैं।
देश में मातृभाषाओं की संख्या अधिक है और इन सब भाषाओं के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है।
• सभी मातृभाषाओं के लिए मानकीकृत पाठ्यक्रम तैयार करने में कठिनाई आएगी।
• मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त विद्यार्थियों को उच्चतर शिक्षा प्राप्त करने में कठिनाई होगी,
क्योंकि अधिकतर उच्चतर शिक्षण संस्थानों में भाषा का माध्यम अंग्रेजी है।
मातृभाषा में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई पहलें
भारतः
• स्कूल प्राध्यापकों और शिक्षकों के समग्र उत्थान की राष्ट्रीय पहल (निष्ठा/ NISHTHA)-मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान (FLN) मातृभाषा,
क्षेत्रीय भाषा एवं स्थानीय भाषा में शिक्षण को बढ़ावा देती है।
• भारत में बोली जाने वाली अलग-अलग मातृभाषाओं और स्थानीय भाषाओं के अनुरूप 52 प्रवेश स्तर के प्राइमर (बच्चों को पढ़ाने के लिए लघु पाठ्यपुस्तकें) लॉन्च की गई हैं।
• इन्हें NCERT और भारतीय भाषा संस्थान द्वारा तैयार किया गया है।
वैश्विक स्तर पर:
• वर्ष 1999 में यूनेस्को ने 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में घोषित किया था।
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने का। विचार बांग्लादेश की पहल थी।
• इसी संदर्भ में यूनेस्को द्वारा युएलु उद्घोषणा (Yuelu Proclamation) की गई थी।
यह भाषाई संसाधनों एवं विविधता की रक्षा के लिए दुनिया भर के देशों और क्षेत्रों के प्रयासों का मार्गदर्शन करने में केंद्रीय भूमिका निभाती है।