भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) की यात्रा का उद्देश्य भारत व फ्रांस(India-France Relations) के बीच मजबूत रक्षा संबंधों को और सशक्त बनाना है।
गौरतलब है कि विगत कुछ वर्षों में दोनों देशों के रक्षा संबंधों में काफी प्रगति दर्ज की गई है।
भारत-फ्रांस(India-France Relations) रक्षा संबंध:
• भारत का रक्षा आधुनिकीकरणः
फ्रांस प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, संयुक्त उद्यम स्थापना, अत्याधुनिक प्रणालियों की आपूर्ति आदि के माध्यम से भारत के रक्षा आधुनिकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
• इसके उदाहरण हैं; स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, राफेल विमानों की आपूर्ति पर समझौता आदि।
भारत-फ्रांस रक्षा औद्योगिक रोडमैप तैयार किया गया है।
इसका उद्देश्य सैन्य हार्डवेयर के “सह-डिज़ाइन और सह-विकास” पर भविष्य में सहयोग करना है।
• अंतरिक्ष सहयोगः
भारत और फ्रांस के बीच जून 2023 में रणनीतिक अंतरिक्ष संवाद आरंभ हुआ था।
इस कदम का उद्देश्य अंतरिक्ष क्षेत्रक संबंधी सह्योग के सभी पहलुओं पर रणनीतिक मार्गदर्शन और दिशा प्रदान करना है।
• हिंद-प्रशांतः
दोनों देश 2018 में ‘हिंद महासागर क्षेत्र में भारत-फ्रांस सहयोग के संयुक्त रणनीतिक दृष्टिकोण’ पर सहमत हुए थे।
इसका उद्देश्य हिंद-प्रशांत त्रिकोणीय विकास सहयोग कोष की स्थापना करना है।
• आतंकवाद-रोधीः
इसके लिए भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) और फ्रांस के GIGN (ग्रुप डी’ इंटरवेंशन डे ला जेंडरमेरी नेशनेल) के बीच एजेंसी स्तर पर सहयोग किया जा रहा है।
• दोनों देशों ने संयुक्त राष्ट्र में अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक कन्वेंशन (CCIT) अपनाने के लिए मिलकर काम करने का संकल्प लिया है।
• संयुक्त रक्षा अभ्यासः
दोनों देश समय-समय पर वरुण (नौसेना), गरुड़ (वायु सेना) और शक्ति (थल सेना) नामक संयुक्त सैन्य अभ्यास आयोजित करते रहे हैं।
भारत-फ्रांस संबंधों के अन्य पहलू:
• विकासात्मक सहयोगः
दोनों देश स्मार्ट सिटीज के क्षेत्र में सहयोग कर रहे हैं।
उदाहरण के लिए- चंडीगढ़ स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट पर भारत-फ्रांस सहयोग।
• जलवायु परिवर्तनः
भारत और फ्रांस के संयुक्त प्रयास से अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) स्थापित किया गया है।
इसका उद्देश्य दुनिया भर में सौर ऊर्जा उत्पादन और उपयोग को बढ़ावा देना है।
• वैश्विक गवर्नेसः
फ्रांस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन किया है,
ताकि UNSC को वर्तमान विश्व के अनुरूप बनाया जा सके और प्रभावी बहुपक्षवाद को बढ़ावा मिल सके।