हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने 14 साल की एक नाबालिग बलात्कार पीड़िता के(MTP) चिकित्सकीय रूप से लगभग 30 सप्ताह के गर्भ की समाप्ति की अनुमति दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए दिया है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा यह राहत दुर्लभ है।
ऐसा इसलिए, क्योंकि गर्भ का चिकित्सकीय समापन (MTP) अधिनियम के तहत,
गर्भावस्था को समाप्त करने की ऊपरी सीमा विवाहित महिलाओं के साथ-साथ विशेष श्रेणियों की महिलाओं के लिए 24 सप्ताह रखी गई है।
गर्भ की समाप्ति(MTP) से संबंधित भारतीय कानून के बारे में:
गर्भ का चिकित्सकीय समापन (MTP:Medical termination of pregnancy) अधिनियम, 1971 पंजीकृत,
चिकित्सकों द्वारा कुछ विशेष श्रेणी की महिलाओं के गर्भ को समाप्त करने का प्रावधान करता है।
MTP अधिनियम में 2021 में संशोधन किया गया था।
इस संशोधन के जरिये गर्भ की समाप्ति की समय सीमा को कुछ विशेष मामलों में 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 सप्ताह कर दिया गया है।
संशोधित कानून(MTP) के अनुसारः
जहां गर्भावस्था की अवधि 20 सप्ताह से अधिक न हो, वहां 1 चिकित्सक की राय आवश्यक है।
जहां गर्भावस्था की अवधि 20-24 सप्ताह के बीच हो, वहां दो चिकित्सकों की राय आवश्यक है।
24 सप्ताह से अधिक के गर्भ की समाप्ति के लिए केवल भ्रूण की असामान्य स्थिति में मेडिकल बोर्ड की सलाह पर गर्भ की समाप्ति की अनुमति है।
24 सप्ताह तक के अनैच्छिक गर्भ (Forced pregnancies) की समाप्त करने की पात्रता में निम्नलिखित शामिल हैं:
बलात्कार पीड़िता, नाबालिग या दुष्कर्म पीड़िता या सगे-संबंधी द्वारा लैंगिक कृत्य से पीड़ित महिला;
अवयस्कः
दिव्यांग महिलाएं;
जारी गर्भावस्था के दौरान वैवाहिक स्थिति में बदलाव (विधवा और तलाकशुदा); आदि।
हालिया निर्णय महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उन महिलाओं के लिए गरिमा, स्वायत्तता, निजता और न्याय सुनिश्चित करता है,
जिन्हें अनैच्छिक गर्भ को समाप्त करने की आवश्यकता होती है।
अनुच्छेद 142:
यह अनुच्छेद सुप्रीम कोर्ट को उसके समक्ष लंबित किसी भी मामले में अपने अधिकार क्षेत्र का उपयोग करते हुए ‘पूर्ण न्याय’ करने के लिए डिक्री या आदेश पारित करने की शक्ति प्रदान करता है।
https://newsworldeee.com/brain-hemorrhage/india-world-news/