Mon. Dec 23rd, 2024

• ब्रह्मोस मिसाइल(BrahMos missile) के निर्यात के लिए भारत और फिलीपींस ने 2022 में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। यह समझौता 375 मिलियन अमेरिकी डॉलर का था।

• गौरतलब है कि हाल ही में, भारत ने गुयाना को दो डोर्नियर 228 विमान सौंपे हैं।

इससे कैरेबियाई देशों में भी भारत के लिए रक्षा निर्यात के अवसर उत्पन्न हुए हैं।

• उपर्युक्त दोनों घटनाएं भारत से रक्षा निर्यात की बड़ी उपलब्धियां मानी जा रही हैं।

ब्रह्मोस मिसाइल(BrahMos missile) के बारे में:

BrahMos missile का भारत द्वारा फिलीपींस को पहली खेप

• इसे भारत और रूस के बीच संयुक्त उपक्रम समझौते के तहत विकसित किया गया है।

इसका नाम ब्रह्मपुत्र और मोस्कवा नदियों के नाम पर रखा गया है।

• यह दो चरणों वाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है।

यह लगभग 2-3 मैक की गति से गमन करती है।

• क्रूज मिसाइल जेट इंजन से संचालित होती है।

इस(BrahMos missile) मिसाइल की मुख्य विशेषताएं:

• यह ‘दागो और भूल जाओ सिद्धांत’ पर आधारित है।

• अलग-अलग प्रकार की फ्लाइट ट्रैजेक्टरी के साथ लंबी फ्लाइट रेंज (290 कि.मी.) है।

BrahMos missile मिसाइल की रेंज:

भारत ने इसकी रेंज को 450 कि.मी. और 600 कि.मी. तक बढ़ाने का निर्णय लिया है।

• यह रडार की पहुंच में बहुत कम आती है.

भारत से रक्षा निर्यात:

• भारत वर्तमान में लगभग 85 देशों को सैन्य हार्डवेयर निर्यात कर रहा है।

• रक्षा निर्यात की प्रमुख मदों में शामिल हैं: मिसाइले, तोपें, रॉकेट, बख्तरबंद वाहन आदि।

• वित्त वर्ष 2023-24 में रक्षा निर्यात 21,083 करोड़ रुपये के अब तक के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया है।

रक्षा निर्यात के अन्य लाभ:

• इसका रणनीतिक लाभ मिलता है।

ऐसा इस कारण, क्योंकि भारत से रक्षा उपकरण खरीदने वाले देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने में मदद मिलती है।

• भारत में रक्षा विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाकर रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त की जा सकती है।

प्रमुख चुनौतियांः

• रक्षा उपकरणों के निर्यात को मंजूरी मिलने में देरी होती है। इससे वैश्विक रक्षा बाजार में भारतीय रक्षा उत्पाद कम प्रतिस्पर्धी हो जाते हैं।

• भारत के रक्षा उत्पादों की गुणवत्ता को लेकर गलत धारणाएं बनी हुई हैं।

रक्षा निर्यात हेतु शुरू की गई प्रमुख पहलें:

• रक्षा उत्पादन और निर्यात संवर्धन नीति का मसौदाः इसमें रक्षा क्षेत्रक में 1,75,000 करोड़ रुपये (25 बिलियन डॉलर) का कारोबार करने का लक्ष्य रखा गया है।

• निर्यात प्रक्रियाओं को सरल बनाया गया हैः इंडिया डिफेंस मार्ट नामक एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म लॉन्च किया गया है।

इस प्लेटफॉर्म पर कंपनियां रक्षा निर्यात लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकती हैं और आवेदनों की मंजूरी को ट्रैक कर सकती हैं।

अन्य पहलेंः

• रक्षा निर्यात प्रोत्साहन योजना (SPDE) शुरू की गई है,

• रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार (iDEX) योजना आरंभ की गई है,

• रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (DAP 2020) जारी की गई है आदि।

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