• शीर्ष न्यायालय ने यह(Environment) निर्णय तेलंगाना राज्य बनाम मोहम्मद अब्दुल कासिम वाद में दिया है..
निर्णय(Environment) पर एक नजरः
• मानव-केंद्रित अप्रोच की जगह पारिस्थितिकी केंद्रित अप्रोच की आवश्यकता है:
मानव- केंद्रित अप्रोच मनुष्य की जरूरतों की नजर से प्रकृति को देखती है।
वहीं, पारिस्थितिकी- केंद्रित अप्रोच प्रकृति के संरक्षण और उसकी जरूरतों के महत्त्व सहित सभी सजीवों की जरूरतों के समान महत्त्व पर बल देती है।
पारिस्थितिक केंद्रित अप्रोच इस मान्यता पर आधारित है कि मनुष्य पृथ्वी पर जीवन के सभी घटकों में से एक घटक मात्र है।
उसे स्वयं को पर्यावरण(Environment) संरक्षक के तौर पर प्रस्तुत करने की बजाय अपनी पारिस्थितिक सीमाओं के भीतर रहना चाहिए।
• वित्तीय संपदा में वनों का योगदानः जिस देश में अधिक वन आवरण होगा,
वह अपने अतिरिक्त कार्बन क्रेडिट्स को कम कार्बन क्रेडिट्स वाले देश को बेच सकता है।
• लगभग 24,000 मीट्रिक टन CO2 के कार्बन सिंक का मूल्य 120 बिलियन डॉलर है।
• पर्यावरण(Environment) क्षरण और जलवायु परिवर्तन के आर्थिक प्रभावः
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बढ़ते तापमान और मानसून वर्षा के बदलते पैटर्न से अर्थव्यवस्था को सकल घरेलू उत्पाद का 2.8% नुकसान उठाना पड़ सकता है।
• सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी देश की प्राकृतिक संपत्तियों सहित उसकी सभी संपत्तियों के मूल्यांकन में “हरित लेखांकन” (Green Accounting) की अवधारणा से अत्यधिक लाभ मिलेगा।
साथ ही, यह लाभ भौतिक और अभौतिक दोनों तरह का होगा।
पर्यावरण(Environment) मुद्दों पर सर्वोच्च न्यायालय के प्रमुख निर्णय:
• एम.सी. मेहता बनाम कमल नाथ, (2000):
इस वाद में शीर्ष न्यायालय ने निर्णय दिया था कि संविधान के अनुच्छेद 48A और 51A पर संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन के अधिकार) के आलोक में विचार किया जाएगा।
“जीवन” के लिए आवश्यक बुनियादी पर्यावरणीय तत्वों यानी हवा, जल और मिट्टी की गुणवत्ता में किसी भी प्रकार की गिरावट संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार के प्रतिकूल सिद्ध होगी।
• नगर निगम ग्रेटर मुंबई बनाम अंकिता सिन्हा, (2022):
सुप्रीम कोर्ट ने इसमें पर्यावरणीय न्याय और पर्यावरणीय समानता की अवधारणा का उल्लेख किया था।