एक्स (पूर्व में द्विटर) ने भारत के चुनाव आयोग (ECI) के अनुरोध पर आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के लिए चार पोस्ट्स पर रोक लगाई है। एक्स ने यह कदम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के लिए ‘स्वैच्छिक आचार संहिता’ (Voluntary Code of Ethics) के अनुपालन में उठाया है।
स्वैच्छिक आचार संहिता(Voluntary Code of Ethics):
• इस संहिता का लक्ष्य चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता को बनाए रखने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का स्वतंत्र, निष्पक्ष और नैतिक उपयोग सुनिश्चित करना है।
• पहली बार 2019 में विविध सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) ने ECI के समक्ष स्वैच्छिक आचार संहिता को प्रस्तुत किया था।
• यह संहिता पेड (भुगतान किए जा चुके) राजनीतिक विज्ञापनों में पारदर्शिता की सुविधा भी सुनिश्चित करती है।
संहिता(Voluntary Code of Ethics) के तहत SMPs की प्रतिबद्धता:
• ECI लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 और अन्य लागू चुनाव संबंधी कानूनों के संभावित उल्लंघनों के बारे में संबंधित प्लेटफॉर्म्स को सूचित कर सकता है।
संबंधित प्लेटफॉर्म्स द्वारा तीन घंटों के भीतर इस सूचना को स्वीकार करना होगा और इसका समाधान करना होगा।
• धारा 126 (1) (B) के तहत मतदान समाप्ति के लिए निर्धारित समय के साथ समाप्त होने वाली 48 घंटों की अवधि के दौरान
किसी भी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर किसी भी चुनावी मत सर्वेक्षण को प्रदर्शित करने पर रोक लगाई गई है।
• प्लेटफॉर्म्स की यह जिम्मेदारी है कि वे उच्च प्राथमिकता वाले एक समर्पित रिपोर्टिंग तंत्र का सृजन करें,
ताकि ECI कानूनों के उल्लंघन की स्थिति में शीघ्र कार्रवाई कर सके।
• प्लेटफॉर्म्स को राजनीतिक विज्ञापनदाताओं हेतु पूर्व-प्रमाणित विज्ञापन प्रस्तुत करने के लिए एक तंत्र प्रदान करना होता है।
इन विज्ञापनों को मीडिया प्रमाणन और निगरानी समिति प्रमाणित करती है।
स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के समक्ष सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स द्वारा प्रस्तुत चुनौतियां:
• इको चेंबर और फिल्टर बबल:
प्लेटफॉर्म्स द्वारा अपनाए जाने वाले एल्गोरिदम मौजूदा पूर्वाग्रहों को मजबूत करते हैं और अलग-अलग मतों तक पहुंच को सीमित करते हैं।
• मतदाता प्रोफाइलिंग और सूक्ष्म-लक्ष्यीकरणः
मतदाता प्रोफाइलिंग और मतदाता विशेष तक पहुंचने के लिए व्यक्तिगत डेटा का संभावित दुरुपयोग किया जाता है।
• गलत सूचना और दुष्प्रचारः
इनके जरिए झूठी सूचनाओं का तेजी से प्रसार होता है।
इनमें मनगढ़ंत समाचार, विकृत तस्वीरें या वीडियो आदि शामिल हैं।
• बाहरी प्रभावः
विदेशी अभिकर्ता समन्वित दुष्प्रचार अभियानों, विभाजनकारी कंटेंट के प्रसार आदि के माध्यम से
चुनावों को प्रभावित करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का दुरुपयोग कर सकते हैं।
उदाहरण के लिए- संयुक्त राज्य अमेरिका में कैम्ब्रिज एनालिटिका विवाद (2018)।