• यह(spy satellite) उपग्रह स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट से लॉन्च किया गया है।
• यह उपग्रह सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR) से लैस है। इस क्षमता से युक्त उपग्रह खराब मौसम में भी तस्वीरें ले सकता है।
जासूस या टोही उपग्रह(spy satellite) के बारे में:
• इस तरह के उपग्रह अन्य देशों की सैन्य गतिविधियों के बारे में खुफिया जानकारी उपलब्ध कराते हैं।
• यह या तो संचार उपग्रह या भू-प्रेक्षण (Earth observation) उपग्रह हो सकता है।
• ऐसा उपग्रह जब किसी देश के ऊपर से गुजरता है, तब उस समय रेडियो और रडार ट्रांसमिशन को कैच कर सकता है व रिकॉर्ड कर सकता है।
जासूस उपग्रह(spy satellite) के मुख्य प्रकारः
• ऑप्टिकल इमेजिंग सैटेलाइटः
इनमें लाइट सेंसर्स लगे होते हैं।
ये सेंसर्स जमीन पर मिसाइल लॉन्चिंग लोकेशंस और हथियारों का पता लगा सकते हैं।
• रडार-इमेजिंग सैटेलाइटः
ये उपग्रह बादल छाए रहने पर भी रडार प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके अंतरिक्ष से पृथ्वी का पर्यवेक्षण कर सकते हैं।
सिग्रल-इंटेलिजेंस या फेरेट सैटेलाइटः ये रेडियो और माइक्रोवेव ट्रांसमिशन को कैच करते हैं।
विश्व के कई देशों ने टोही उपग्रह लॉन्च किए हैं। इनमें शामिल हैं:
• संयुक्त राज्य अमेरिका: कीहोल सीरीज (KH),
• चीनः याओगान सीरीज,
• रूसः पर्सोना सीरीज ।
• भारतः रडार इमेजिंग सैटेलाइट-2 (RISAT-2) को भारत का टोही उपग्रह(spy satellite) माना जाता है। यह SAR से लैस है।
टोही उपग्रहों(spy satellite) से जुड़ी चिंताएं:
• ये उपग्रह अंतरिक्ष के सैन्यीकरण को बढ़ावा देते हैं;
• ऐसे उपग्रह देशों के बीच अविश्वास को बढ़ाते हैं।
उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के बीच बढ़ता अविश्वास इसका एक उदाहरण है।
• इनका इस्तेमाल दोहरे उपयोग (Dual used) वाली तकनीक के रूप में किया जा सकता है।
इसका तात्पर्य यह है कि ये उपग्रह वाणिज्यिक के साथ-साथ सैन्य उद्देश्यों के लिए भी उपयोग किए जा सकते हैं।
• पृथ्वी की निम्र कक्षा में उपग्रहों को हथियारों से लैस करके इनसे पृथ्वी पर किसी लक्ष्य को निशाना बनाया जा सकता है।
इस तरह ये “कक्षीय हथियार” (Orbital weapon) के रूप में काम कर सकते हैं।
• चीन का टोही उपग्रह भारत के बारे में महत्वपूर्ण सैन्य जानकारी एकत्र कर सकता है।