कोरल ब्लीचिंग(Coral Bleaching):
जब ये प्रवाल तापमान, प्रकाश या पोषक तत्वों जैसी स्थितियों में परिवर्तन से दबावग्रस्त होते हैं, तो वे अपने सहजीवी शैवाल को स्वयं से अलग कर देते हैं। इससे वे पूरी तरह से सफेद हो जाते हैं। इसी प्रक्रिया को कोरल ब्लीचिंग(Coral Bleaching) कहा जाता है।
कोरल ब्लीचिंग(Coral Bleaching) के लिए जिम्मेदार कारकः
जलवायु परिवर्तन के कारण महासागर के तापमान में वृद्धि, समुद्र में अपशिष्ट जल का मिलना एवं प्रदूषण, अत्यधिक निम्न ज्वार, महासागर का अम्लीकरण आदि
चौथी वैश्विक व्यापक कोरल ब्लीचिंग/प्रवाल विरंजन(Coral Bleaching) परिघटना की पुष्टि की गई:
• इस व्यापक कोरल ब्लीचिंग(Coral Bleaching) की पुष्टि NOAA के कोरल रीफ वॉच (CRW) और इंटरनेशनल कोरल रीफ इनिशिएटिव (ICRI) ने की है।
• 2023 की शुरुआत से ऑस्ट्रेलिया की ग्रेट बैरियर रीफ सहित कम-से-कम 53 देशों, राज्यक्षेत्रों और स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं में प्रवाल भित्तियों (कोरल रीफ्स) के बड़े पैमाने पर विरंजन की पुष्टि की गई है।
• यह पिछले 10 वर्षों में इस तरह की दूसरी परिघटना है। इससे पहले यह परिघटना 2014 से 2017 तक जारी रही थी।
• कोरल (मूंगा / प्रवाल) अकशेरुकी (Invertebrate) जीव हैं, जो निडारिया नामक जीवों के एक बड़े समूह से संबंधित हैं।
• आम तौर पर इन्हें “हार्ड कोरल” या “सॉफ्ट कोरल” के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
हार्ड कोरल, भित्ति (रीफ) निर्माणकारी प्रवाल होते हैं। इनके चट्टान जैसे अस्थि-पंजर कैल्शियम कार्बोनेट से बने होते हैं।
• प्रवाल भित्तियां हार्ड कोरल के पॉलीप्स से बनती हैं।
ये जूजैंथले नामक सूक्ष्म शैवाल के साथ सहजीवी संबंध स्थापित करते हैं। ये शैवाल उन्हें विशिष्ट रंग प्रदान करते हैं।
प्रवाल भित्तियों के विकास के लिए अनुकूल स्थितियां:
• गर्म (23-29 डिग्री सेल्सियस), लवणीय (32-42 ppt) साफ और उथला समुद्री जल; तथा
• स्थिर तापमान एवं प्रचुर मात्रा में सूर्य-प्रकाश।
प्रवाल भित्तियों का महत्त्वः
• इनमें लगभग 25% समुद्री जीवन का पोषण करने वाली उच्च जैव विविधता और उत्पादकता होती है।
इस वजह से इन्हें अक्सर समुद्री वर्षावन कहा जाता है।
• ये तूफान के प्रभाव या गति को कम करती हैं,
• इनसे पर्यटन को बढ़ावा मिलता है,
• ये कार्बन सिंक के रूप में कार्य करते हैं।
प्रवाल भित्तियों(Coral reefs) के संरक्षण हेतु किए गए उपाय:
वैश्विक उपायः
ICRI, ग्लोबल फंड फॉर कोरल रीफ्स, ग्लोबल कोरल रीफ मॉनिटरिंग नेटवर्क (GCRMN), कोरल ट्रायंगल इनिशिएटिव (CTI) आदि।
• कोरल ट्राएंगल पश्चिमी प्रशांत महासागर में स्थित एक समुद्री क्षेत्र है।
इसमें इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, पापुआ न्यू गिनी, तिमोर लेस्ते और सोलोमन द्वीप का जल क्षेत्र शामिल है।
भारत में किए गए उपायः
• समुद्री संरक्षित क्षेत्र (MPA) घोषित किए गए हैं;
• एकीकृत तटीय क्षेल प्रबंधन (ICZM) योजना शुरू की गई है और
• बायोरॉक तकनीक के माध्यम से प्रवालों की पुनर्स्थापना की जा रही है आदि।