Mon. Dec 23rd, 2024

इस पैनल का गठन सुप्रियो बनाम भारत संघ मामले (2023)(Queer Community) में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुपालन में किया गया है।

इस पैनल की अध्यक्षता कैबिनेट सचिव द्वारा की जाएगी।

• इस वाद में, सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया था

कि इस पर निर्णय करने का अधिकार संसद का है।

यह पैनल निम्नलिखित सुनिश्चित करने के लिए उपायों का सुझाव देगा(Queer Community):

• क्वीर समुदाय(Queer Community) द्वारा वस्तुओं और सेवाओं की प्राप्ति में सामना किए जाने वाले भेदभाव को समाप्त करना;

• क्वीर लोगों का उनकी इच्छा के खिलाफ चिकित्सा उपचार नहीं किया जाए।

साथ ही, उनके साथ हिंसा, जबरदस्ती जैसी घटनाओं को रोका जाए।

क्वीर समुदाय:

Queer Community अपने अधिकारों के लिए प्रदर्शन करते हुए

• यह समुदाय LGBTQ+ (लेस्बियन, गे, बाइसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर, क्वीर और इंटरसेक्स) लोगों से ही संबंधित है।

• इस समुदाय के कुछ लोगों को सामाजिक बहिष्कार, बेघर होना, कम शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल तक कम पहुंच आदि समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

• ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 के तहत

इनके अधिकारों की सुरक्षा और कल्याण का प्रावधान किया गया है।

क्वीर समुदाय(Queer Community) पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय:

• दीपिका सिंह बनाम केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण, 2022:

इस वाद में सुप्रीम कोर्ट ने अविवाहित या क्कीर संबंधों के माध्यम से बने परिवारों को मान्यता प्रदान की।

इसके अलावा, कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत असामान्य परिवारों (Atypical families) को भी कानून के संरक्षण का हकदार माना है।

• नवतेज सिंह जौहर बनाम भारत संघ (2018):

इस वाद में सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से हटा दिया था।

• नालसा (NALSA) बनाम भारत संघ, 2014:

इस वाद में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को ‘थर्ड जेंडर’ का दर्जा देते हुए उन्हें कानूनी मान्यता प्रदान की थी।

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