अध्ययन(Acidic Soil) के मुख्य बिंदुओं पर एक नजरः
भारत में लगभग 30% से अधिक कृषि योग्य भूमि अम्लीय(Acidic Soil) है। इससे पौधों की वृद्धि प्रभावित होती है।
अम्लीय मृदा वह होती है, जिसका pH मान 5.5 से कम होता है।
मृदा के अम्लीकरण के कारण मृदा के ऊपरी संस्तर से “मृदा अजैविक कार्बन (Soil Inorganic Carbon: SIC)” की हानि हो सकती है।
SIC में कैल्शियम कार्बोनेट, मैग्नीशियम कार्बोनेट जैसे कार्बन के खनिज रूप शामिल हैं।
इनका निर्माण मूल सामग्री के अपक्षय (Weathering) से या मृदा में मौजूद खनिजों की वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के साथ अभिक्रिया से होता है।
मृदा अम्लीकरण (Soil Acidification) वास्तव में समय के साथ मृदा का pH मान कम होना है।
मृदा अम्लीकरण(Acidic Soil) को बढ़ाने वाले कारक:
नाइट्रोजन की लीचिंग (निक्षालन):
अमोनियम युक्त उर्वरक से नाइट्रोजन मृदा में निर्मुक्त होता रहता है। इससे मृदा अम्लीकरण भी बढ़ता जाता है।
जब कार्बनिक अवशेष का विघटन होता है, तब वे मृदा में कार्बनिक अम्ल निर्मुक्त करते हैं।
पौधों की जड़ें जब सक्रिय विकास चरण में होती हैं, तब ये मृदा में कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) निर्मुक्त करती हैं।
इसके परिणामस्वरूप मृदा में कार्बनिक अम्ल का निर्माण होता है।
मृदा अम्लीकरण के प्रभाव:
मृदा अजैविक कार्बन (SIC) का नुकसानः
SIC मुख्य तौर पर कार्बोनेट है।
जब मृदा का pH स्तर कम हो जाता है, तब कार्बोनेट अम्ल मृदा में आसानी से घुल जाते हैं।
यह कम pH स्तर कार्बोनेट अम्ल को या तो CO2 गैस के रूप में उत्सर्जित कर देता है या सीधे जल में निर्मुक्त कर देता है।
सूक्ष्म-जीवों (माइक्रोब्स) की हानिः
लाभकारी बैक्टीरिया अम्लीय मृदा में जीवित नहीं रह सकते।
एल्युमीनियम विषाक्तताः
जब मृदा का pH मान कम होता है, तब एल्युमीनियम भी मृदा में घुल जाता है।
इसके कारण मृदा के घोल में एल्युमीनियम की मात्रा बढ़ जाती है। यह नाजुक वनस्पति प्रजातियों की जड़ों के लिए विषाक्त है।
अन्य प्रभावः
रोगजनक कवक में वृद्धि होती है,
मृदा में पोषक तत्वों की उपलब्धता में कमी आती है आदि।
अम्लीय मृदा का प्रबंधन:
लाइमिंगः
ऊपरी खेती योग्य मृदा की परत में चूना, जिप्सम या डोलोमाइट का उपयोग करना चाहिए।
औद्योगिक उप-उत्पादों का उपयोग करनाः
चीनी मिलों से प्रेस मड, लौह और इस्पात उद्योगों से धातु मल (स्लैग), सीमेंट निर्माण संयंत्नों से फ़्लू डस्ट आदि का उपयोग किया जा सकता है।
गन्ना, केला जैसी अम्ल सहिष्णु फसलें उगानी चाहिए।
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