Mon. Dec 23rd, 2024

• इस नए हाइड्रोजेल में एक अनोखा इंटरद्वाइन्ड पॉलिमर नेटवर्क मौजूद है। यह माइक्रोप्लास्टिक(Microplastics) का बंध बनाकर पराबैंगनी (UV) प्रकाश विकिरण का उपयोग करके उनका क्षरण कर सकता है।

• इस हाइड्रोजेल में तीन अलग-अलग पॉलिमर परतें हैं।

ये परतें हैं- चिटोसन, पॉलीविनाइल अल्कोहल और पॉलीएनिलिन।

• इन पॉलिमर्स को कॉपर सब्स्टीट्यूट पॉलीओक्सोमेटालेट (Cu-POM) जैसे नैनोक्लस्टर्स के साथ जोड़ा जाता है।

• नैनोक्लस्टर्स उत्प्रेरक के रूप में कार्य करते हैं।

ये पराबैंगनी प्रकाश विकिरण का उपयोग करके माइक्रोप्लास्टिक का क्षरण कर सकते हैं।

• इस हाइड्रोजेल ने अनुसंधान के दौरान माइक्रोप्लास्टिक के क्षरण में उच्च दक्षता (95% और 93%) प्रदर्शित की है।

माइक्रोप्लास्टिक(Microplastics) के बारे में:

• माइक्रोप्लास्टिक पांच मिलीमीटर से कम लंबाई के छोटे प्लास्टिक के टुकड़े हैं।

• माइक्रोप्लास्टिक(Microplastics) की श्रेणियां:

प्राथमिकः व्यावसायिक उपयोग के लिए डिज़ाइन किए गए छोटे प्लास्टिक कण होते हैं।

इनके उदाहरण हैं:

» सौंदर्य प्रसाधन, टूथपेस्ट आदि में प्रयुक्त माइक्रोबीड्स ।

> परिधानों और अन्य प्रकार के वस्त्र उत्पादों (मछली पकड़ने के जाल) से निकलने वाले माइक्रोफ़ाइबर।

• द्वितीयकः ये ऐसे कण हैं, जो पानी की बोतल जैसे बड़े आकार के प्लास्टिक उत्पादों का क्षरण होने से उत्पन्न होते हैं।

• इनमें क्षरण पर्यावरणीय कारकों की वजह से होता है।

ये कारक हैं- सूर्य के विकिरण और महासागरीय लहरों के प्रभाव में आना आदि।

माइक्रोप्लास्टिक(Microplastics) के प्रभाव:

Microplastics से प्रभावित जीव

• पर्यावरण पर प्रभावः समुद्री जीव इन टुकड़ों को गलती से अपना आहार समझकर निगल लेते हैं।

प्लास्टिक के ये टुकड़े इन जीवों के लिए विषाक्त साबित होता है।

• इनसे पूरी खाद्य श्रृंखला बाधित हो जाती है, क्योंकि ये समुद्री जीव खाद्य के रूप में मानव के आहार में भी शामिल होते हैं। 

• ये समुद्री लहरों के साथ बहते हुए अंटार्कटिका जैसे अति सुदूर क्षेत्र में पहुंचकर वहां के पर्यावरण को भी प्रदूषित कर रहे हैं।

• मानव स्वास्थ्य पर प्रभावः

जठरांत्रिय(Gastrointestinal) विकार, अंत: स्रावी ग्रंथियों को बाधित करने, सांस लेने में समस्या, एलर्जी आदि का कारण बनते हैं।

प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए प्रमुख पहले:

वैश्विक पहलें:

• संयुक्त राष्ट्र सतत विकास सम्मेलन (रियो+20) की शिखर बैठक, 2012 में “ग्लोबल पार्टनरशिप ऑन प्लास्टिक पॉल्यूशन एंड मरीन लिटर (GPML)” लॉन्च की गई।

• अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन ने 1973 में “जहाजों से प्रदूषण की रोकथाम के लिए अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन (MARPOL) को अपनाया।

भारत में शुरू की गई पहलें:

• 2022 से कुछ चिह्नित सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया गया है।

• प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के तहत प्लास्टिक उत्पाद के लिए विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (Extended Producer Responsibility: EPR) का प्रावधान किया गया है।

• अन-प्लास्टिक कलेक्टिव पहल शुरू की गई है। यह भारतीय उद्योग परिसंघ (CII), संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) और WWF-इंडिया द्वारा सह-स्थापित पहल है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *