चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल ने युद्ध(War) के बदलते स्वरूप के अनुरूप स्वयं को ढालने की जरूरत को रेखांकित किया।
युद्ध(War) का बदलता स्वरूप:
• परंपरागत रूप से, प्रत्यक्ष और काइनेटिक (घातक हथियारों का उपयोग) सैन्य कार्रवाई को युद्ध कहा जाता है।
हालांकि, 21 वीं सदी में युद्ध के अधिक जटिल और छद्म रूप का उदय हुआ है।
इसे 5वीं पीढ़ी का युद्ध (5GW)” नाम दिया गया है।
5GW में मुख्य रूप से युद्ध(War) के अलग-अलग नॉन-काइनेटिक रूपों या अप्रत्यक्ष तकनीकों की मदद ली जाती है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
• साइबर युद्धः
इसमें कंप्यूटर वापरस या ‘डिनायल ऑफ सर्विसेज जैसे माध्यमों से किसी अन्य देश के कंप्यूटर या सूचना नेटवर्क पर हमला किया जाता है और उन्हें नुकसान पहुंचाया जाता है।
• मनोवैज्ञानिक ऑपरेशन्सः
इसमें किसी देश में विपक्षी समूहों की राय, भावनाओं और व्यवहार को प्रभावित करने के लिए दुष्प्रचार (प्रोपेगेंडा) आदि का सहारा लिया जाता है।
• हाइब्रिड युद्धः
यह एक सैन्य रणनीति है।
इसने पारंपरिक युद्ध के साथ-साथ फेक न्यूज, कूटनीति जैसी मिश्रित कार्रवाइयां शामिल होती हैं।
• युद्ध की नई उभरती चुनौतियां:
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ड्रोन, परमाणु, अंतरिक्ष युद्ध जैसी परिवर्तनकारी प्रौद्योगिकियों का सहारा लिया जाने लगा है।
युद्ध की नई रणनीतियों से निपटने हेतु भारत की पहले:
• सामरिक बल कमान (SFC) का गठनः
इसके पास परमाणु हथियारों के नियंतण, प्रबंधन और प्रशासन की जिम्मेदारी है।
• DRDO युवा वैज्ञानिक प्रयोगशालाएं:
इनका उद्देश्य युद्ध के अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी क्षेलक के लिए समाधान प्रदान करना है।
रक्षा साइबर एजेंसीः
इसका उद्देश्य रक्षा बलों की सूचना और संचार प्रौद्योगिकी संबंधी परिसंपत्तियों की सुरक्षा करना है।
• रक्षा अंतरिक्ष एजेंसीः
इसका उद्देश्य भारतीय थल सेना, नौसेना और बापु सेना की अंतरिक्ष संबंधी परिसंपत्तियों को एकीकृत करना है।