• कोरिया सुपरकंडक्टिंग टोकामक(Tokamak Reactor) एडवांस्ड रिसर्च (KSTAR) फ्यूजन रिएक्टर ने परमाणु संलयन में एक नया रिकॉर्ड बनाया है। इस रिएक्टर ने 48 सेकंड तक सूर्य के कोर से सात गुना अधिक तापमान बनाए रखने में सफलता प्राप्त की है।
• इसके अतिरिक्त, KSTAR ने 100 सेकंड से अधिक समय तक हाई कन्फाइनमेंट मोड (H-मोड) भी बनाए रखा।
•H-मोड एक स्थिर प्लाज्मा अवस्था है।
• प्लाज्मा एक गर्म और आवेशित गैस है। यह सकारात्मक आयनों और मुक्त गतिमान इलेक्ट्रॉनों से बना होता है। इसमें ठोस, तरल या गैस से अलग विशिष्ट गुण होते हैं।
टोकामक(Tokamak Reactor) के बारे में:
• टोकामक एक डोनट के आकार का रिएक्टर है। इसका उपयोग वैज्ञानिक परीक्षण के लिए किया जाता है।
इस रिएक्टर में प्लाज्मा बनाने के लिए हाइड्रोजन वेरिएंट को बहुत अधिक तापमान पर गर्म किया जाता है।
• इसे कृत्रिम सूर्य इसलिए कहा जाता है क्योंकि सूर्य की तरह यह भी ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए परमाणु संलयन प्रतिक्रिया का उपयोग करता है।
• परमाणु संलयन प्रतिक्रिया के तहत, दो हल्के परमाणु नाभिक आपस में मिलकर एक भारी नाभिक बनाते हैं।
इस प्रतिक्रिया में बड़ी मात्रा में ऊर्जा निकलती है।
परमाणु संलयन का महत्व:
• प्रचुर ऊर्जा:
इस प्रतिक्रिया के दौरान निकलने वाली ऊर्जा कोयले, तेल या गैस के दहन से उत्पन्न ऊर्जा से लगभग चार मिलियन गुना अधिक होती है।
• परमाणु प्रसार का सीमित जोखिम:
इस प्रतिक्रिया में किसी भी समृद्ध सामग्री का उपयोग नहीं किया जाता है जिसका उपयोग परमाणु हथियार बनाने के लिए किया जा सकता है।
• पिघलने का कोई जोखिम नहीं:
इस मामले में संलयन प्रतिक्रिया आधारित रिएक्टर विखंडन प्रतिक्रिया आधारित रिएक्टरों की तुलना में अधिक सुरक्षित माने जाते हैं।
• इस प्रतिक्रिया में इस्तेमाल होने वाला ईंधन सस्ता है और प्रकृति में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है।
परमाणु संलयन(Tokamak Reactor) से जुड़ी मुख्य चुनौतियाँ:
• अभी तक ऐसी सामग्री विकसित नहीं हुई है जो दशकों तक संलयन की स्थिति का सामना कर सके।
शोधकर्ता अभी तक प्लाज्मा के भौतिकी को बेहतर ढंग से समझ नहीं पाए हैं।
• 50 मिलियन डिग्री सेल्सियस का अत्यंत उच्च तापमान बनाए रखना बहुत कठिन कार्य है।