यह टिशू कल्चर(Plant Tissue Culture) लैब असोला भट्टी वन्यजीव अभयारण्य में स्थापित की जाएगी।
• इस लैब में हिंगोट, खैर, बिस्तेदू, सिरी, पलाश जैसी वृक्ष प्रजातियों के पौधे तैयार किए जाएंगे।
पादप ऊतक संवर्धन(Plant Tissue Culture) के बारे में:
• इसमें रोगाणु मुक्त वातावरण और इष्टतम रूप से नियंत्रित भौतिक वातावरण में सिंथेटिक मीडिया के उपयोग अविभेदित पादप कोशिकाओं, ऊतकों या अंगों के उत्पादन की एक विधि।
• दूसरे शब्दों में, ऊतक संवर्धन के तहत, पादपो के एक्सप्लांट के छोटे भागों को किटाणु रहित वातावरण में पोषक तत्वों का उपयोग करके संवर्धित किया जाता है।
• यह प्रक्रिया पादप कोशिकाओं की टोटिपोटेंसी विशेषता का उपयोग करती है।
• टोटिपोटेंसी पादप कोशिका की किसी भी प्रकार की विशिष्ट कोशिका में विभाजित होने और विभेदित होने की क्षमता है।
पादप ऊतक संवर्धन के प्रकार:
• अंग संवर्धन: इसके लिए, पौधे के किसी भी भाग (जड़, तना, पत्ती और फूल) को संवर्धन उद्देश्य के लिए एक एक्सप्लांट (पौधे से प्राप्त) के रूप में उपयोग किया जाता है।
• बीज संवर्धन: इसके अंतर्गत, उन पौधों से एक्सप्लांट प्राप्त किए जाते हैं जिन्हें पहले से ही इन विट्रो स्थितियों में संवर्धित और उगाया जा चुका है।
• भ्रूण संवर्धन: इसके अंतर्गत, भ्रूण को अलग करके इन विट्रो स्थितियों में संवर्धित किया जाता है।
पादप ऊतक संवर्धन(Plant Tissue Culture) के मुख्य उपयोग:
• रोग मुक्त पौधे विकसित करना,
• पौधों को तेजी से बढ़ने में मदद करना,
• बड़े पैमाने पर कृत्रिम बीजों का निर्माण करना आदि।
पादप ऊतक संवर्धन के समक्ष मुख्य चुनौतियाँ:
• इसके लिए देश में पर्याप्त बुनियादी ढाँचे का अभाव है,
• इस कार्य के लिए कुशल लोगों की कमी है,
• जैव प्रौद्योगिकी सिद्धांतों आदि के बारे में वैज्ञानिक ज्ञान का अभाव है।