केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम, 1958 (AFSPA) को नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश तक बढ़ाया
• असम सरकार भी राज्य के 4 जिलों में अगले 6महीने के लिए AFSPA अधिनियम, 1958 को बढ़ा दिया है।
AFSPA, 1958 के बारे में:
• यह कानून सशस्त्र बलों को “अशांत क्षेत्रों” में सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए कुछ शक्तियां प्रदान करता है।
• यह अधिनियम सशस्त्र बलों को कुछ विशेष शक्तियां प्रदान करता है, जैसे-
• किसी भी क्षेत्र में पांच या अधिक व्यक्तियों के एकत्र होने पर रोक लगाना।
• यदि सशस्त्र बलों को लगता है कि कोई व्यक्ति कानून का उल्लंघन कर रहा है, तो वे बल प्रयोग कर सकते हैं या गोली चला सकते हैं।
वे बिना वारंट के किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकते हैं।
साथ ही, वे किसी भी परिसर में प्रवेश कर सकते हैं या तलाशी ले सकते हैं।
वे किसी को भी आग्नेयास्त्र रखने से भी मना कर सकते हैं।
किसी भी क्षेत्र को अशांत क्षेत्र घोषित करने की शक्तियां:
• AFSPA की धारा 3 के तहत किसी क्षेत्र को अशांत क्षेत्र घोषित किया जाता है।
यह तब घोषित किया जाता है जब किसी राज्य/केंद्र शासित प्रदेश का कोई भाग या पूरा क्षेत्र ऐसी स्थिति में हो कि सामान्य प्रशासनिक व्यवस्था की सहायता के लिए सशस्त्र बलों का उपयोग करना आवश्यक हो जाता है।
• संबंधित राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के क्षेत्रों या पूरे राज्य/केंद्र शासित प्रदेश को ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित किया जा सकता है।
• किसी क्षेत्र को राज्य के राज्यपाल/केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक या केंद्र सरकार द्वारा ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित किया जाता है।
Armed Forces Special Powers Act से संबंधित चिंताएँ:
• यह कानून संविधान द्वारा गारंटीकृत जीवन के अधिकार और संवैधानिक उपचारों के अधिकार का उल्लंघन करता है।
• सशस्त्र बलों पर शक्तियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया है।
• यह कानून मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा जैसे अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करता है।
AFSPA के तहत प्रतिरक्षा:
• अधिनियम द्वारा प्रदत्त शक्तियों के प्रयोग में किए गए या किए जाने वाले किसी भी कार्य के विरुद्ध कोई अभियोजन, मुकदमा या
कोई अन्य कानूनी कार्यवाही (केंद्र सरकार की पूर्व मंजूरी के अलावा) शुरू नहीं की जा सकती है।
AFSPA के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय:
• एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल एग्जीक्यूशन विक्टिम फैमिलीज एसोसिएशन बनाम भारत संघ मामले (2016) में
सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय दिया था कि सैन्य कर्मियों द्वारा अपराध किए जाने पर भी आपराधिक न्यायालय द्वारा अभियोजन से पूर्ण छूट का कोई प्रावधान नहीं है।